तुझको मैं दीवानी कर दूँ जादूगर हूँ।
खुद से ही बेगानी कर दूँ जादूगर हूँ।
हो अगर इजाजत मुझको दिल में आने की,
पत्थर पानी-पानी कर दूँ जादूगर हूँ।
जहर उगलते रहते जो साँपों के मानिंद,
सबको शीर-ज़बानी कर दूँ जादूगर हूँ।
ओ सुकुमारी! नैन कटारी हद में रक्खो
मैं न कहीं नादानी कर दूँ जादूगर हूँ।
कुछ लमहे कुछ पल को जो तू ठहर गई तो
सिंदूरी पेशानी कर दूँ जादूगर हूँ।
- मिहिर
Mithilesh Mihir
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शीर-ज़बानी =मीठी बातें करने वाला
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