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जादूगर हूँ


तुझको मैं दीवानी कर दूँ जादूगर हूँ।

खुद से ही बेगानी कर दूँ जादूगर हूँ।

हो अगर इजाजत मुझको दिल में आने की,
पत्थर पानी-पानी कर दूँ जादूगर हूँ।

जहर उगलते रहते जो साँपों के मानिंद,
सबको शीर-ज़बानी कर दूँ जादूगर हूँ।

ओ सुकुमारी! नैन कटारी हद में रक्खो
मैं न कहीं  नादानी कर दूँ जादूगर हूँ।

कुछ लमहे कुछ पल को जो तू ठहर गई तो
सिंदूरी पेशानी कर दूँ जादूगर हूँ।

- मिहिर 


Mithilesh Mihir
#mithileshmihir
शीर-ज़बानी =मीठी बातें करने वाला
#poetry
#urdupoetry 

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