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भूख बड़ी होती है बाबू

पेट जले है, बर्तन खाली।
मार पड़ी है किस्मत वाली।

सपनों में पैलेस रखा है,
सिरहाने पे लोटा, थाली।

भूख बड़ी होती है बाबू,
वरना फूल न बेचे माली।

इधर-उधर देखा बच्चे ने,
कूड़े से नमकीन उठा ली।

मैं दफ़्तर जाने को था, बस
उसने जो अंगड़ाई डाली!

दिल बच्चा है खेल मुहब्बत,
खेल-खेल में मिट्टी खाली।

ग़ज़ल मिहिर* की सुनकर झूमे,
पत्ता - पत्ता, डाली - डाली।

*मिहिर- बादल

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