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My Creative Roadmap: A Fusion of Culture, Science, and Storytelling

 Welcome to my creative journey! This blog is more than just words — it’s a living map of my dream to become a multimedia storyteller who blends science, anime, folk traditions, music, and creative writing.
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बिरादरी आँसुओं की / मिथिलेश मिहिर

  महीने   का अंतिम दिन था। सूरज की छुट्टी हो गई थी और चांद हाथ में टिफिन का डब्बा लिए नाइट ड्यूटी के लिए बस पहुँचने ही वाला था , शाम की मदहोशी छाई हुई थी। इधर सूरज की छुट्टी होते ही कामगारों की भी छुट्टी हो गयी। सब अपने - अपने रूम की ओर प्रस्थान करने लगे। हालांकि कलेसर का कार्यस्थल और विश्रामस्थल एक ही है तो उसे कहीं जाना ही नहीं है। मगर फिर भी छुट्टी होते ही कलेसर को बड़ी तेज कदमों से निकलता देख , भीखन भी निकला , तो पाया कि उनके बीच लगभग पंद्रह कदम का फासला हो चुका है। " अहो ! कलेसर दा कहाँ जाय रहे हैं। " भीखन ने ऊँची आवाज में पूछा।

भूख बड़ी होती है बाबू

पेट जले है, बर्तन खाली। मार पड़ी है किस्मत वाली। सपनों में पैलेस रखा है, सिरहाने पे लोटा, थाली।

हम भी पत्थर हो गए प्यारे!

देख रहे हो तारणहारे ! इंसाँ फिर इंसाँ को मारे।  दिल में पत्थर-दिल को रखकर, हम भी पत्थर हो गए प्यारे! 

चारा-गर पूछे हैं: "क्या-क्या दिखता है?"

चारा-गर* पूछे हैं: "क्या-क्या दिखता है?" मैं कहता: "बस यार का चेहरा दिखता है।" Charagar puchhe haiN: "kya kya dikhta hai?" MaiN kahta: "bas yaar ka chehra dikhta hai" इक अरसे तक पंछी रहा है पिंजरे में,  सो, पंछी को हर-सू** पिंजरा दिखता है। Ik arse tak panchhi rha hai piNjre meiN So, panchhi ko har-su piNjra dikhta hai

मुहब्बत करो जी, मुहब्बत मिलेगी

फ़क़त क्या इबादत से जन्नत मिलेगी। मुहब्बत करो जी, मुहब्बत मिलेगी। अरे! ओ मुसाफ़िर डगर कौन तेरा करो बंद आँखें सदाक़त मिलेगी।

जादूगर हूँ

तुझको मैं दीवानी कर दूँ जादूगर हूँ। खुद से ही बेगानी कर दूँ जादूगर हूँ। हो अगर इजाजत मुझको दिल में आने की, पत्थर पानी-पानी कर दूँ जादूगर हूँ।